Sunday, 21 June 2020

सच के लिए कुर्बानी





सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप।
 जाके हिरदे सांच है, ताके हिरदे आप।।


1. ईसा मसीह जी को सत्य के लिए सूली पर चढ़ना पड़ा।
2. राजा हरिशचंद्र जी को परिवार सहित बिकना पड़ा।
3. मन्सूर जी के शरीर के टुकड़े टुकड़े कर दिया गया।
4. सुकरात जी को जहर का प्याला पीना पड़ा।
5. मीरा बाई के घर के दुश्मन हो गये।
6. नानक साहेब जी को बाबर की जेल में रहना पड़ा।
7. गुरु गोविंद सिंह जी ने अपना सर्वस्व दान कर दिया।
8. रविदास के अपने दुश्मन हो गये।
9. दादू पीपा घीसा आदि को सत्य के लिए अपनो से बहुत संघर्ष करना पडा।
और
10. अब संत रामपाल जी द्वारा सत्य की अलख जगाने पर पूरा लोकतंत्र खिलाफ हो गया। पूर्णतया निर्दोष होने पर भी दोषी साबित कर दिया गया।
पहले सतलोक आश्रम पर हमला फिर संत रामपाल जी व 950 अनुयायियों को जेल फिर सुनियोजित तरीके से दोषी साबित करना। आखिर कसूर सत्य बोलना व सत्य भक्ति करना था, क्या ये गुनाह हो गया...??


जरूरत है विचार करने की...
इतिहास गवाह है कि सत्य को हमेशा बार-बार परीक्षा देनी पड़ी है और झूठ अपने आप फला फूला है। पर झूठ के पांव नहीं होते और सत्य स्थाई निवास बनाता है। इतिहास में जो भी महापुरुष सत्य पर चले उनकी कीर्ति आज जग में है और जो झूठ धोखा छल कपट के मार्ग पर चले उनकी संसार में बदगति हुई है।
सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं। सत्य अपनी स्थाई जगह अवश्य बनाता है।


संतरामपालजी महाराज पर लगे हुए सभी झूठे केस खारिज होंगे। झूठ की बुनियाद पर केस नहीं जीते जाते। संत बेदाग होते है उन्हें दागदार करने की व्यर्थ कोशिश धूमिल हो जायेगी। अपनी पावर का गलत इस्तेमाल करके निर्दोष को दोषी साबित करना लोकतंत्र की हत्या है तथा सत्य को खत्म करने की कुचेष्टा मात्र है।


संत रामपाल जी कहते है कि अच्छी फसल देने के लिए जमीन को अपनी छाती पर हल चलवाना पड़ता है।
मिट्टी में मिला हुआ बीज पकने के बाद सैकड़ों मन अपने जैसे तैयार कर लेता है।
लंबी छलांग के लिए एक कदम पीछे जरूर हटना पड़ता है। घनघोर अंधेरे के बाद सूर्य की किरण प्रकाशित होती है और सम्पूर्ण तिमिर का नाश कर देती है। इसी तरह सत्य जमीन फाड़ अवश्य बाहर आएगा। अंत में जीत सत्य की ही होगी। सत्य स्वयमेव परमात्मा है

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https://youtu.be/lNBcPdm4fdE

  सत्यमेव जयते

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