Thursday, 21 May 2020

आज भाई को फुर्सत है



कहता हूं कहि जात हूं ,कहूं बजाकर ढोल। स्वास जो खाली जात है, तीन लोक का मोल।



एक भक्त सत्संग में जाने लगा। दीक्षा ले ली, ज्ञान सुना और भक्ति करनेलगा। अपने मित्रा से भी सत्संग में चलने तथा भक्ति करने के लिए प्रार्थना कीपरंतु दोस्त नहीं माना। कह देता कि कार्य से फुर्सत (खाली समय) नहीं है।छोटे-छोटे बच्चे हैं। इनका पालन-पोषण भी करना है। काम छोड़कर सत्संग में जानेलगा तो सारा धँधा चौपट हो जाएगा।वह सत्संग में जाने वाला भक्त जब भी सत्संग में चलने के लिए अपने मित्रासे कहता तो वह यही कहता कि अभी काम से फुर्सत नहीं है। एक वर्ष पश्चात् उसमित्रा की मृत्यु हो गई। उसकी अर्थी उठाकर कुल के लोग तथा नगरवासी चले,साथ-साथ सैंकड़ों नगर-मौहल्ले के व्यक्ति भी साथ-साथ चले। सब बोल रहे थे किराम नाम सत् है, सत् बोले गत् है।भक्त कह रहा था कि राम नाम तो सत् है परंतु आज भाई को फुर्सत है।नगरवासी कह रहे थे कि सत् बोले गत् है, भक्त कह रहा था कि आज भाई कोफुर्सत है। अन्य व्यक्ति उस भक्त से कहने लगे कि ऐसे मत बोल, इसके घर वालेबुरा मानेंगे। भक्त ने कहा कि मैं तो ऐसे ही बोलूँगा। मैंने इस मूर्ख से हाथ जोड़करप्रार्थना की थी कि सत्संग में चल, कुछ भक्ति कर ले। यह कहता था कि अभीफुर्सत अर्थात् खाली समय नहीं है। आज इसको परमानैंट फुर्सत है। छोटे-छोटे बच्चेभी छोड़ चला जिनके पालन-पोषण का बहाना करके परमात्मा से दूर रहा। भक्तिकरता तो खाली हाथ नहीं जाता। कुछ भक्ति धन लेकर जाता। बच्चों कापालन-पोषण तो परमात्मा करता है। भक्ति करने से साधक की आयु भी परमात्माबढ़ा देता है। भक्तजन ऐसा विचार करके भक्ति करते हैं, कार्य त्यागकर सत्संगसुनने जाते हैं।भक्त विचार करते हैं कि परमात्मा न करे, हमारी मृत्यु हो जाए। फिर हमारेकार्य कौन करेगा? हम यह मान लेते हैं कि हमारी मृत्यु हो गई। हम तीन दिनके लिए मर गया, यह विचार करके सत्संग में चलें, अपने को मृत मान लें औरसत्संग में चले जायें। वैसे तो परमात्मा के भक्तों का कार्य बिगड़ता नहीं, फिर भीहम मान लेते हैं कि हमारी गैर-हाजिरी में कुछ कार्य खराब हो गया तो तीन दिनबाद जाकर ठीक कर लेंगे। यदि वास्तव में टिकट कट गई अर्थात् मृत्यु हो गई तोपरमानैंट कार्य बिगड़ गया। फिर कभी ठीक करने नहीं आ सकते। इस स्थिति कोजीवित मरना कहते हैं।






https://www.jagatgururampalji.org/gyan_ganga_hindi.pdf

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