Sunday, 24 May 2020

अल्लाह कबीर जी ही अल खिद्र है।






अल-खिद्र(कबीर प्रभु) को जिंदा पीर भी कहा जाता है।


संत गरीबदास जी ने अपनी वाणी में बताया है कि कबीर परमेश्वर जी ने समशतरबेज़ का वेश बनाकर सिमली तथा उसके भाई मंसूर को यथार्थ अध्यात्म ज्ञान समझाया था। उन्होंने ही अल खिद्र की लीला भी की थी।







पवित्र ग्रंथ बाईबल तथा पवित्र पुस्तक कुरान शरीफ़/मजीद का ज्ञान देने वाला एक ही अल्लाह है।
कुरान शरीफ़ में उस अल्लाह ने कहा है कि मैंने ही दाऊद, मूसा तथा ईशा को क्रमशः तौरात, जबूर तथा इंजिल पुस्तकों का ज्ञान दिया था। कुरान का ज्ञान हज़रत मुहम्मद को दिया गया था।

🌼मूसा के अल्लाह का ज्ञान अधूरा है जो अल-खिद्र (खिज्र) के ज्ञान के सामने कुछ भी नहीं है। उसी अल्लाह का दिया ज्ञान बाईबल तथा कुरान में है।
अल-खिद्र नाम से लीला करने वाले स्वयं कबीर परमेश्वर हैं।

🌼अल-खिद्र(कबीर परमेश्वर) के ज्ञान के सामने मूसा का ज्ञान कुछ नहीं
कुरान और बाईबल का ज्ञान देने वाला अल्लाह एक ही है, वह अपने भक्त मूसा से कहता है कि मैंने तेरे को जो ज्ञान (जबूर में) बताया है। यह ज्ञान अल-खिद्र(कबीर परमेश्वर) के ज्ञान के सामने कुछ मायने नहीं रखता।

हज़रत मूसा जी के अल्लाह का ज्ञान अधूरा है
मूसा जी का अल्लाह स्वयं कहता है कि तेरा ज्ञान अल-खिद्र(अल्लाह कबीर) के ज्ञान के सामने कुछ भी नहीं है। उसी अल्लाह का दिया ज्ञान बाईबल तथा कुरान ग्रंथों में है।
अविनाशी अल्लाह
हजरत मुहम्मद अपने जीवन काल में जवानी और बुढ़ापे में अल-खिद्र(कबीर प्रभु) से दो बार मिले थे। लेकिन अल-खिद्र(कबीर प्रभु) की उम्र बिल्कुल नहीं बदली थी। इससे यह प्रमाणित होता है कि अल-खिद्र (कबीर जी) अविनाशी हैं।
"अल-खिद्र" को आज अलग अलग सभ्यताओं में विभिन्न नामों से जाना व पूजा जाता है। अल-खिद्र का 55 हदीसों में ज़िक्र मिलता 
संत गरीबदास जी ने कहा है कि :-
गरीब अनंत कोटि अवतार हैं, नौ चितवैं बुद्धि नाश।
खालिक खेलै खलक में, छः ऋतु बारह मास।।
अर्थात् जिनको तत्वज्ञान नहीं है, वे केवल नौ अवतार मानते हैं और उसी कारण से उनको विष्णु के अवतार मानते हैं। परंतु सब लीला कबीर सत्यपुरूष ही करता है।
मुसलमानों का मानना है कि अल-खिद्र अमर है और आज भी धरती पर जीवित (जिंदा) है व मौजूद है और अल्लाह की राह पर जो उलझन में हैं उनका मार्ग दर्शन करता है। वास्तव में वे कबीर परमात्मा ही हैं जिन्होंने इसी तरह से नानक जी, दादू जी, गरीब दास व अन्य का मार्गदर्शन किया था।
अल-खिद्र(कबीर परमात्मा) कभी बूढ़े नहीं होते
अल-खिद्र (कबीर जिंदा पीर) मुहम्मद जी को उनके जीवन काल में दो बार मिले। पहले जवानी में फिर बुढापे में। अल-खिद्र की आयु बिल्कुल नहीं बदली थी। वह अमर परमात्मा हैं।
कबीर परमात्मा ही अनेक रूप बनाके भक्ति में आस्था बनाये रखते हैं। उन्होंने ही अल-खिद्र की लीला भी की।
आपत्ति के समय राम, कृष्ण की सहायता कबीर परमेश्वर जी ने गुप्त रूप से की थी। उनके साथ भी अवतार रूप में (मुनिन्द्र व करूणामय के रूप में) उपस्थित थे। उसके अनंत करोड़ अवतार हैं। वह दिन में सौ-सौ बार ऊपर अपने सतलोक में जाते हैं और सौ-सौ बार पुनः उतरकर आते हैं। (खालिक) परमात्मा तो (खलक) संसार में छः ऋतु बारह मास यानि सदा ही लीला करता है।
वही जिंदा पीर रूप में मुस्लिम देशों में अपने सत्य ज्ञान का प्रचार किया करते थे। अल-खिद्र(कबीर परमात्मा) आज अलग-अलग सभ्यताओं में विभिन्न नामों से जाना व पूजा जाता हैं।
अल-खिद्र को जिंदा पीर भी कहा जाता है। मुस्लिम देशों में अल-खिद्र(कबीर प्रभु) की अनेकों यादगारें मौजूद हैं।
वह अविनाशी परमात्मा हैं। अनेकों रूप बनाकर कबीर परमात्मा ही सब लीला करते रहते हैं।
हजरत मूसा जी का अल्लाह मूसा को मूसा से अधिक (इल्म) ज्ञान वाले शख्स के पास जाने को कहता है जिसका नाम ‘‘अल-खिद्र’’( कबीर साहेब) है। {कुछ इस्लामिक पुस्तकों में खिज्र व खजीर भी अल-खिद्र का नाम लिखा है।
मुस्लिम विद्वानों का मानना है कि अल-खिद्र को कई लोगों के बीच में उसके नरम हाथों से पहचाना जा सकता है।
परमेश्वर/अल्लाह/अल-खिद्र कबीर जी की वाणी है:-
हाड चाम लहू ना मोरे, जाने सतनाम उपासी ।
तारन तरन अभय पद(मोक्ष) दाता, मैं हूं कबीर अविनाशी ।।
कुरान ज्ञान दाता भी अल-खिद्र (कबीर अल्लाह) की शरण में जाने को कहता है
कुरान शरीफ सुरह-काफ 18 आयत 60-82 में प्रमाण है कि हजरत मूसा का अल्लाह, मूसा को उससे ज्यादा इल्म (सच्चा तत्वज्ञान) रखने वाले के पास भेजता है । जिसका नाम अल-खिद्र (कबीर जी) है।
"अली" मुसलमान को भी अल-खिद्र मिले। उसको नाम दिया और कहा कि यह नाम (मंत्र) असंख्य पापों को भी समाप्त कर देगा।
अल-खिद्र(अल्लाह कबीर) के मंत्र की शक्ति
अली ने बदर युद्ध में जीतने के लिए अल-खिद्र(अल्लाह कबीर) से आशीर्वाद मांगा तो उन्होंने उसको एक शब्द बताया। उसका जाप करके अली ने युद्ध जीता जो मुहम्मद और विरोधियों के बीच में हुआ था। संत गरीबदास जी ने अपनी अमृतवाणी में कहा है कि ‘‘अली अल्लाह का शेर है। तलवार को ऊपर करे तो आसमान को छू जाए। यह सब कमाल परमात्मा के आशीर्वाद व बताए मंत्र की शक्ति का था। आज वही शक्तिशाली मंत्र बाख़बर पूर्ण संत रामपाल जी महाराज बता रहे हैं जिससे जन्म मरण का रोग समाप्त होता है और यहां का सुख भी प्राप्त होता है।अल-खिद्र नाम से लीला करने वाला स्वयं कबीर परमेश्वर है।
अल-खिद्र (कबीर जी) एक हैसूर लड़के को मार देते हैं, मूसा उसको गलत मानता है। घटिया कर्म बताता है। बाद में अल-खिद्र स्पष्ट करता है कि इस लड़के के माता-पिता परमात्मा के परम भक्त हैं। यह लड़का आगे चलकर उनकी भक्ति में बाधा करता। इसलिए इसे मारा है। अब अल्लाह उनको नेक पुत्र देगा जो
उनकी भक्ति में बाधक नहीं होगा।
ऐसे ही एक दीवार के नीचे खजाना होना बताया गया है। भक्त/भक्तमति अचानक मर गए थे। परमात्मा ने उनके (यतीम) अनाथ बच्चों के लिए खजाना सुरक्षित किया। बडे़ होने पर वे उसको प्राप्त करके सुखी जीवन जीयेंगे। वह खजाना भी उनको परमात्मा कबीर जी बताता है। जैसे तैमूरलंग को बताया। सम्मन, सेऊ को बताया था। हमसे यूट्यूब पर जुड़े👇👇
https://youtu.be/lNBcPdm4fdE

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