Tuesday, 5 May 2020

मोक्ष की प्राप्ति

"अनल पक्षी जैसा भाव"
जैसे एक अनल पक्षी (अलल पंख) आकाश में रहता है। यह पक्षी अब लुप्त हो चुका है।
इसके चार पैर होते थे। आगे वाले छोटे और पीछे वाले बड़े। इसका आकार बहुत बड़ा होता था।
लम्बे-लम्बे पंख होते थे। पूरा पक्षी यानि युवा पक्षी चार हाथियों को एक साथ उठाकर आकाश में
अपने परिवार के पास ले जाता था।
अनल पक्षी (अलल पक्षी) ऊपर वायु में रहता था। वहीं से मादा अनल अण्डे उत्पन्न कर
देती थी। वह अण्डे उस स्थान पर छोड़ती थी जहाँ केले का वन होता था। केले एक-दूसरे में
फँसकर गहरा वन बना लेते थे। हाथियों का झुण्ड (समूह) यानि सैंकड़ों हाथी भी केले के वन में
रहते थे क्योंकि हाथी केले के पेड़ खा जाता है तथा केले के पेड़ों पर ही लेट जाता है। मस्ती करता
रहता है। अलल पक्षी का अण्डा वायुमंडल से गुजरकर नीचे #पृथ्वी तक आने में हवा के घर्षण से
पककर बच्चा तैयार हो जाता था। वह अण्डा केले के पेड़ों के ऊपर गिरता था। केले के पेड़ों की
सघनता के कारण वह अण्डा क्षतिग्रस्त नहीं होता था। केवल इतनी गति से केले के पेड़ों को
तोड़कर पृथ्वी पर गिरता था कि अण्डा फूट जाए। अण्डे का आकार बहुत बड़ा होता था। उसका
कवर भी सख्त मजबूत होता था। बच्चे के बचाव के लिए अण्डे के कवर तथा #बच्चे के बीच में
गद्देदार पदार्थ होता था जो पृथ्वी के ऊपर गिरते समय बच्चे को चोट लगने से बचाता था। अनल
पक्षी का बच्चा पृथ्वी पर अन्य पक्षियों के बच्चों के साथ रहता था। उनसे मिलकर उड़ता था, परंतु
उसकी अंतरआत्मा यह मानती थी कि यह मेरा घर-परिवार नहीं है, मेरा परिवार तो ऊपर है। मैंने
ऊपर अपने परिवार में जाना है। यह मेरा संसार नहीं है। वह जब युवा हो जाता है तो हाथियों
के झुण्ड पर झपट्टा मारता था। चार हाथियों को चारों पंजों से उठाता था तथा एक हाथी को
चौंच से पकड़कर उड़ जाता था। अपने परिवार के पास चला जाता था। साथ में उनके लिए आहार
भी ले जाता था।

कबीर परमेश्वर जी ने सटीक उदाहरण बताकर भक्त को मार्गदर्शन किया है कि आप इस
संसार के स्थाई वासी नहीं हैं। आपको यह छोड़कर जाना है। आपका परिवार ऊपर #सतलोक में
है। आप इस पृथ्वी के ऊपर गिरे हो। तत्त्वज्ञान प्राप्त भक्त के मन की दशा उस अनल (अलल)
पक्षी के बच्चे जैसी होनी चाहिए। जब तक सतलोक जाने का समय नहीं आता तो सांसारिक
व्यक्तियों के साथ मिलकर शिष्टाचार से रहो। चलते समय इनमें कोई लगाव नहीं रहना चाहिए।
अपनी नाम-स्मरण की कमाई तथा पुण्य धर्म की कमाई साथ लेकर उड़ जाना है। अपने परिवार
के पास अपने निज घर सतलोक में जाना है।

"अलल पंख का घर पावैगा सो"
जो अलल पक्षी के बच्चे की तरह ध्यान लगाएगा वही अपने वास्तविक घर को प्राप्त करेगा।

सोई गुरु पूरा कहावे
दो अक्षर का भेद बतावे
 एक छूडावे एक लखावे
तो प्राणी निज घर को जावे |

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1 comment:


  1. काया तेरी है नहीं, माया कहाँ से होय।
    चरण कमल में ध्यान रखो, इन दोनों को खोय।।

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