Friday, 26 June 2020

Meat eater are sinner

                मांस खाना पाप

अल्लाह/प्रभु ने हम मनुष्यों के खाने के लिए फलदार वृक्ष तथा बीजदार पौधे दिए हैं, मांस खाने का आदेश नहीं दिया।

meat eater

                          Don't eat meat


एक तरफ तो आप भक्ति करते हो, और दूसरी तरफ आप बेजुबान निर्दोष जानवरों की हत्या कर उनका मांस खाते हो। सभी जीव परमात्मा की प्यारी आत्मा है, तो फिर मांस खाने से परमात्मा प्राप्ति कैसे होगी?जीव हिंसा करे,प्रकट पाप सिर होय।निगम पुनि ऐसे पाप ते, भिस्त गया ना कोय।परमात्मा कबीर जी कहते हैं कि जींस हिंसा करने से पाप ही लगता है। ऐसा महापाप करके भिस्त (स्वर्ग) कोई नहीं गया। तो फिर हे भोले मानव फिर ऐसा महापाप क्यों करता है।मास मछलियां खात है, सुरापान से हेत। ते नर नरकै जाएंगे, मात पिता समेत।।परमेश्वर कबीर जी कहते हैं की जो  जीव हत्या करता है,मांस खाते हैं, वह अपराधी आत्मा मृत्यु उपरांत नरक में जाएंगे, साथ ही मात-पिता भी नरक में जाएंगे।

 कबीर, तिलभर मछली खायके, कोटि गऊ दे दान। काशी करौंत ले मरे, तो भी नरक निदान।।
तिल के समान भी मछली खाने वाले चाहे करोड़ो गाय दान कर लें, चाहे काशी कारोंत में सिर कटा ले वे नरक में अवश्य जाएंगे

आज़ का मानव समाज मांस खाकर महापाप का भागी बन रहा है।कभी सोचा है कि, अगर मांस खाने से परमात्मा प्राप्ति होती, तो सबसे पहले मांसाहारी जानवरों को होती, जो केवल मांस ही खाते हैं।मांस खाकर आप परमात्मा के बनाएं विधान को तोड़कर परमात्मा के दोषी बन रहे हो। ऐसा करने वाले को नरक में डाला जाता है।

Be vegetarian
What is the benifit of eating vegetarian food


गरीब, जीव हिंसा जो करते हैं, या आगे क्या पाप। कंटक जुनी जिहान में, सिंह भेड़िया और सांप।।
जो जीव हिंसा करते हैं उससे बड़ा पाप नहीं है। जीव हत्या करने वाले वे करोड़ो जन्म शेर, भेड़िया और साँप के पाते हैं।कबीर-माँस भखै औ मद पिये, धन वेश्या सों खाय। जुआ खेलि चोरी करै, अंत समूला जाय।।जो व्यक्ति माँस भक्षण करते हैं, शराब पीते हैं, वैश्यावृति करते हैं। जुआ खेलते हैं तथा चोरी करते हैं वह तो महापाप के भागी हैं। जो व्यक्ति माँस खाते हैं वे नरक के भागी हैं।कबीर परमात्मा कहते हैं माँस तो कुत्ते का आहार है, मनुष्य शरीर धारी के लिए वर्जित है।कबीर-यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय।मुखमें आमिख मेलिके, नरक परंगे जाय।।परमात्मा ने इंसान तो क्या जानवरों को भी मांस खाने की इजाजत नहीं दी। सबके खाने के लिए फल, सब्जियां, अनाज, और पेड़ पौधे बनाये हैं।

मांसाहार
मांसाहार महापाप


हज़रत मुहम्मद जी जैसी इबादत आज का कोई मुसलमान नहीं कर सकता। उन्होंने मरी हुई गाय को अपनी शब्द शक्ति से जीवित किया था, कभी मांस नहीं खाया।
जबकि आज सर्व मुस्लिम समाज मांस खा रहा है, जो अल्लाह का आदेश नहीं है।तीसों रोज़े भी रखते हो और वहीं क़त्ल भी करते हो।तुम्हें अल्लाह का दीदार कैसे होगा।जो व्यक्ति मांस खाते हैं, महापाप के भागी हैं, वे घोर  नरक में गिरेंगे।जो व्यक्ति जीव हत्या करते हैं जैसे गाय, बकरी, मुर्गी, सुअर आदि की वह महापापी हैं।मांस खा कर यदि आप बलिदान भी देते हो तो सब व्यर्थ है, उसका कोई लाभ नहीं।मांस को बैन कर देना चाहिए।वर्तमान में सर्व मुसलमान श्रद्धालु माँस खा रहे हैं। परन्तु नबी मुहम्मद जी ने कभी माँस नहीं खाया तथा न ही उनके सीधे अनुयाईयों (एक लाख अस्सी हजार) ने माँस खाया।केवल रोजा व बंग तथा नमाज किया करते थे। गाय आदि को बिस्मिल(हत्या) नहीं करते थे।

नबी मुहम्मद नमस्कार है, राम रसूल कहाया।
एक लाख अस्सी कूं सौगंध, जिन नहीं करद चलाया।।

कबीर, दिनको रोजा रहत हैं, रात हनत हैं गाय।
यह खून वह वंदगी, कहुं क्यों खुशी खुदाय।।


परमात्मा कबीर जी कहते हैं कि मुस्लिम दिन में तो रोजा रखते हैं और रात में गाय का मांस खाते हैं। यह जीव हत्या है, यह अल्लाह की बन्दगी नहीं है। फिर अल्लाह इससे खुश क्यों होगा?

गला काटै कलमा भरै, किया करै हलाल।

साहिब लेखा मांगसी तब होगा कौन हवाल।।

परमात्मा कबीर ने कलमा पढ़कर जीवों की हत्या करने वाले मुल्ला काज़ियों को लताड़ते हुए कहा है कि जिन निर्दोष जीवों की हत्या तुम कर रहे हो इन सभी पापों का लेखा जोखा अल्लाह तुमसे जरूर लेंगे। तब कोई बचाने वाला नहीं होगा।

मांस खाना पाप
मांस खाना भगवान का आदेश नही




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